काव्य वर्षा को विलक्षण प्रतिभा लेखन सम्मान

                                 हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच शिमला (रजि) कांगड़ा निवासी दिव्यांग काव्य वर्षा को  "विलक्षण प्रतिभा लेखन सम्मान" देने की घोषणा की गई है। शारीरिक रूप से लगभग 80 प्रतिशत अक्षम काव्य वर्षा को यह सम्मान उनके घर जिला कांगड़ा की तहसील ज्वाली के दरकाटी गांव में एक साहित्य गोष्ठी में दिया जाएगा जो नवंबर के प्रथम सप्ताह में प्रस्तावित है। इसी सप्ताह कांगड़ा के एक कॉलेज में भी पहले से कार्यक्रम तय है। यह गोष्ठी  काव्य वर्षा के सम्मान में ही आयोजित की जाएगी।

                                 काव्य वर्षा का जन्म 8 फरवरी, 1990 को पिता श्री बलदेव राज चौधरी व माता श्रीमती पवन कुमारी के घर हुआ था। काव्य बचपन से ही दिव्यांग है और चलने उठने में पूरी तरह असमर्थ है। शून्य शिक्षित होते हुए भी काव्या ने मोबाइल पर ही हिंदी, पंजाबी और पहाड़ी भाषा सीखी है जिन में वह लगातार कविताएं, गीत, कहानी और संस्मरण लिख रही है। काव्य का 117 कविताओं का पहला कविता संग्रह "नील गगन को छूने दो" वर्ष 2021 में प्रकाशित हो चुका है। उनकी कविताएं कई साझा संकलनों में संकलित हुई है। वह देश तथा प्रदेश की पत्र पत्रिकाओं में लगातार लिख रही है।

                               काव्य वर्षा की लिखी स्क्रिप्ट पर छः लघु फिल्में.......पिल्लो, गुड बाय पापा, समाज, पॉकेट मनी और डॉक्टर ही बनना पड़ेगा निर्मित हो चुकी है तथा एक गीत "ओ जाने जां"  भी शूट हो चुका है। काव्य की फिल्मों को 6 राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार  मिल चुके हैं और 15 बार उनकी फिल्मों की ऑफिशियल सिलेक्शन भी हुई है।

                          काव्य वर्षा को जो थोड़ी सी सरकारी पैंशन मिलती है उसमें से वह अपने स्तर पर लड़कियों की सहायता करती रहती है।

                        ऐसी दिव्यांग अनूठी प्रतिभा की धनी काव्य वर्षा को विलक्षण प्रतिभा लेखन सम्मान घोषित करते हुए हिमालय मंच गौरवान्वित महसूस कर रहा है। काव्य वर्षा को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।

  एस आर हरनोट

18.10.2022

शिमला हिमाचल प्रदेश।


साहित्य आमजन के बीच

 हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच के मुख्य कार्यक्रम "साहित्य आमजन के बीच" के अंतर्गत  भव्य साहित्य उत्सव का आयोजन। अदभुत प्रतिभा की धनी हैं अर्की कॉलेज की छात्राएं। हिंदी और पहाड़ी में कविताएं और हिमाचली लोक गीतों की मनभावन प्रस्तुतियां।




















अर्की साहित्य उत्सव

 हिमालय साहित्य मंच और अर्की कॉलेज के संयुक्त संयोजन में आयोजित भव्य "अर्की साहित्य उत्सव" का आज 11 बजे अर्की कॉलेज सभागार में आयोजन हुआ। तीन सत्रों में आयोजित यह कार्यक्रम 11 बजे से सांय 5 बजे तक बिना ब्रेक के चला। मुख्य अतिथि एसडीएम अर्की साहित्य अनुरागी श्री केशव राम जी थे और अध्यक्षता डॉ.देवेंद्र गुप्ता ने की। विशिष्ट अतिथि कॉलेज अर्की के प्रधानाचार्य डॉ.जगदीश शर्मा और विशेष अतिथि डॉ.हेमराज कौशिक और डॉ.शंकर विशिष्ट थे। इस उत्सव का संयोजन और परिकल्पना मंच के अध्यक्ष एस आर हरनोट की थी जिसे साकार करने में एसडीएम केशव राम जी ने बड़ी भूमिका निभाई। 

पहला सत्र छात्रों के संगीत और कविता पाठ का था। दूसरा लोक संगीत और तीसरा सत्र कविता


पाठ का रहा। छात्रों और वक्ताओं ने चुनाव उत्सव को अत्यधिक मतदान में परिवर्तित करने हेतु उपस्थित जनसमूह को अधिक से अधिक मतदान करने के लिए भी प्रेरित किया।

मुख्य अतिथि केशव राम जी ने जहां अर्की क्षेत्र के कॉलेजों और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में ऐसे और साहित्य उत्सव के आयोजनों की घोषणा की वहां आचार संहिता और होने वाले चुनाव के बारे में भी बहुत सी महत्वपूर्ण बातें की। डॉ.गुप्ता ने इसे छात्रों और वरिष्ठ साहित्यकारों का बड़ा साहित्य और सांस्कृतिक संवाद बताया और कार्यक्रम की सफलता हेतु एसडीएम अर्की, अर्की कॉलेज और हिमालय मंच की सराहना की।


हिमालय मंच ने अर्की कॉलेज के समस्त स्टाफ सहित सदस्यों के आतिथ्य के लिए कॉलेज कंटीन के कर्मचारियों और
  दक्ष शुक्ला जी तथा कुलदीप गर्ग तरुण जी का आभार व्यक्त किया।

खूबसूरत मंच संचालन के लिए डॉ.रमेश शर्मा और डॉ.राजन तनवर को बधाई दी गई। हिमालय मंच के सदस्यों के अतिरिक  जो वरिष्ठ साहित्यकार दूर दूर के क्षेत्रों से आए थे उनका भी धन्यवाद किया।

हिमालय मंच के जिन सदस्य लेखकों ने अपनी अपनी रचनाओं के साथ उत्सव में भागीदारी की उनमें डॉ हेमराज कौशिक, डॉ शंकर वशिष्ठ, डॉ विजय लक्ष्मी, डॉ सत्यनारायण स्नेही, डॉक्टर जगदीश बाली, रोशन जसवाल, डॉ अनिता शर्मा, कुलदीप गर्ग तरुण, जगदीश कश्यप, दीप्ति सारस्वत, दिनेश शर्मा, दक्ष शुक्ला, अश्वनी कुमार, कल्पना गांगटा, वीरेंद्र कुमार, धनंजय सुमन, रत्न चंद निर्झर, राजकुमार गौतम, जगदीश गौतम, प्रेमलाल शास्त्री, कमला ठाकुर और स्थानीय वरिष्ठों में चेतराम भारद्वाज, विद्या सागर भार्गव और हेमराज गौर प्रमुख थे।

संगीत के कार्यक्रम को अर्की कॉलेज के संगीत विभाग ने बहुत सुंदर डिजाइन किया था। डॉ.हेतराम भारद्वाज, सहायक प्राचार्य की सितार पर मुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति थी जिनकी तबले पर युवाछात्र कलाकार हेमंत ने संगत की। टेबल पर हरीश भी मौजूद रहे। पहाड़ी लोकगीतों की सुंदर प्रस्तुतियां जिन छात्रों ने दी उनमें रोहिणी, निधि ठाकुर, वर्तिका, मधु और हेमलता शामिल रहीं। इन्हीं के साथ आकाशवाणी शिमला और दूरदर्शन के जानेमाने एंकर और ओके कलाकार जगदीश गौतम की नाटियों और गीतों ने समा बांध दिया वहां डॉ.अनिता शर्मा ने चंबा का गीत प्रस्तुत किया।

हमारे मंच के बहु सक्रिय सदस्य लेखक दक्ष शुक्ला के बेटे भरत शुक्ला की गिटार और गीत की प्रस्तुति बहुत शानदार थी। उनका  LUVINAFT Dehli, NCR and GuruGram के नाम से अपना बैंड है। 

पहाड़ी, हिंदी और अंग्रेजी में जिन बच्चों ने कविताओं से समा बांधा उनमें नेहा, सपना, अंजली, मनीषा शांदिल, दीप शिखा, मुस्कान, प्रेमिका, नंदिनी, संयुक्ता, गुंजन,मधु, अर्चना और कविता मुख्य थीं।

पूरे उत्सव की फोटोग्राफी और बीडियोग्राफी  मंच के कोषाध्यक्ष वीरेंद्र कुमार ने संभाली थी और सभी चित्र उन्हीं के सौजन्य से यहां प्रस्तुत हैं।

कुल मिला कर यह एक यादगार और भव्य साहित्य उत्सव था जिसकी गूंज अर्की क्षेत्र में ही नहीं बाहर भी  बहुत दिनों तक  रहेगी।

 

छात्रों युवाओं के साथ सृजन संवाद

छात्रों और युवाओं के साथ एक सार्थक सृजन संवाद और कवि गोष्ठी।

हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर शिमला गेयटी सभागार में प्रदेश के विभिन्न कालेजों से आए छात्रों के साथ हिमालय मंच द्वारा एक साहित्यिक संवाद और कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता सेतु पत्रिका के संपादक और अध्यक्ष क्रिएटिव राइटर फोर्म के अध्यक्ष डॉ.देवेंद्र गुप्ता ने की। विशेष अतिथि पांवटा कॉलेज में हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ.जय चंद थे जबकि इनके साथ वरिष्ठ लेखक गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय और ओम प्रकाश शर्मा ने मंच सांझा किया। इस आयोजन की रूपरेखा आज सुबह ही बनी और बहुत कम समय में गेयटी बुक करवाने के साथ सारे प्रबंध हो गए। 

शुरुआत छात्रों की कविताओं और निबंध से हुई। 

डीएवी स्कूल टूटू के छात्रों नीतीश कुमार, भृगु गौतम, आरब सिंह ने जहां कविता पाठ किया इशान ने हिंदी पर बहुत प्रभावी आलेख प्रस्तुत किया। छात्र अध्यापक नीरज शर्मा जी के सानिध्य में आए थे। मंडी कॉलेज से उमेश शर्मा, ऋतु कुमारी, ऊना कॉलेज से आकृति शर्मा, दामिनी चौधरी, संजौली कॉलेज से वैशाली, सुदीक्षा, नाहन कॉलेज से शशि सुहानी, पांवटा कॉलेज से शशिबाला और सुंदर नगर कॉलेज से भारती ने हिंदी और विविध सामायिक विषयों पर कविता पाठ किए। युवा कवियों में विचलित अजय और लद्दाख की निवासी, शिमला में अध्ययनरत जैनब ने बहुत अच्छी कविताएं पढ़ीं। वरिष्ठ लेखकों में स्नेह नेगी, गुप्तेश्वर नाथ उपाध्याय, रोशन लाल प्राशर और ओम प्रकाश शर्मा ने कविता पाठ के साथ छात्रों को अच्छा लिखने के गुर सिखाए और डूब कर अपनी रुचि का अच्छा साहित्य पढ़ने पर भी जोर दिया। गुप्तेश्वर नाथ जी ने "सृजनात्मक लेखन: क्या, क्यों और कैसे"  विषय पर अपने विचार रखे और अपनी एक कविता "लिख नहीं पाता हूँ" का पाठ किया।

युवा सामाजिक कार्यकर्ता संजय भारद्वाज ने भी अपने विचार साझा किए। आयोजन में तकरीबन 42 छात्रों, युवाओं और वरिष्ठ लेखकों और साहित्य प्रेमियों ने भाग लिया। मंच के सक्रिय सदस्य लेखक धनजय सुमन ने बच्चों के लिए बहुत ही अच्छी जलपान व्यवस्था की। वीरेंद्र कुमार जी का भी बहुत सहयोग रहा।

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ.गुप्ता ने रचनात्मक साहित्य और हिंदी भाषा पर बहुत ही सामायिक और सारगर्भित बातें कहीं। उन्होंने छात्रों के कई प्रश्नों के उत्तर भी दिए। गुप्ता जी ने छात्रों को सेतु पत्रिका के अंक भी भेंट किए। डॉ.जय चंद ने बहुत कम समय में छात्रों के लिए आयोजित किए गए इस सफल आयोजन के लिए हिमालय साहित्य और संस्कृति मंच तथा एस आर हरनोट का दिल से शुक्रिया किया।

मंच का खूबसूरत और सारगर्भित टिप्पणियां के साथ संचालन किया और अपनी एक बहुत सुंदर कविता भी सुनाई। गेयटी स्टाफ का हल के प्रबंध और सहयोग के लिए आभार भी प्रकट किया गया।।